पूज्य सिंधी सेंट्रल पंचायत चुनाव प्रक्रिया 16 जुलाई को होगा मतदान…दावा आपत्ति पर निष्पक्ष नही हुई सुनवाई :- सुरेश सिदारा

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बिलासपुर – पूज्य सिंधी सेंट्रल पंचायत के होने जा रहे आम चुनाव में 3 उम्मीदवार खड़े है, जिसमें पहले उम्मीदवार सुरेश सिदारा ने कुछ आपत्तियां दर्ज कराई थी इनमें प्रमुख आपत्ति है सिंधी पंचायत कश्यप कॉलोनी की वोटर लिस्ट जो नियम के अनुसार जितने घर है उसके 10 परसेंट नाम होने चाहिए कश्यप कॉलोनी के अध्यक्ष जगदीश जगियासी ने पहले 12 नामों की लिस्ट भेजी बाद में उसे बदलकर 30 नामों की लिस्ट भेजी गई इसी बात पर उम्मीदवार ने आपत्ति दर्ज कराई की कश्यप कॉलोनी में 300 घर नहीं है किस आधार पर 30 लोगो की लिस्ट भेजी है यह जानकारी दी जाए, चुनाव अधिकारी ने उसका जवाब 15 जुलाई को दोपहर 1:30 दिया जबकि नियम से चुनाव अधिकारी को 14 तारीख को रात्रि तक इसका फैसला कर देना चाहिए था, उन्हें पता था कि आज शनिवार है सरकारी छुट्टी है और रविवार को वोटिंग है इसलिए उम्मीदवार कहीं दूसरी जगह ना जा सके सुरेश का कहना है कि चुनाव अधिकारी ने निष्पक्ष भूमिका नहीं निभाई है नियम से तो उनकी वोटर लिस्ट कैंसिल की जानी चाहिए और 10 लोगों की लिस्ट फाइनल करना चाहिए थाइस पर जब मीडिया ने इसकी जानकारी मांगीतो चुनाव अधिकारी ने बताया कि हमने अध्यक्ष से बातचीत की अध्यक्ष को बुलाया अध्यक्ष ने खुद कहा कि 30 नामों वाली लिस्ट सही है गलत नहीं है जब पत्रकार ने पूछा कि क्या आपने कश्यप कॉलोनी में जाकर देखा की 300 घर है कि नहीं या आपने जो मध्ययान पर्ची पंचायत के द्वारा काटी जाती है उनके सामने लाई गई, चुनाव अधिकारी ने कहा ऐसा कुछ नहीं हुआ और हमने अध्यक्ष के मौखिक जवाब को ही ओके कर दिया पत्रकार ने कहा कि अगर कोई दूसरे वार्ड पंचायत का अध्यक्ष आपको 50 नामों की लिस्ट दे देंगे तो क्या आप उसे भी ओके कर देंगे। बहरहाल नियम से चुनाव स्थगित किया जाना था और 15 वार्ड पंचायतों की वोटर लिस्ट को फिर से वेरीफाई करते तब तक चुनाव 1 माह के लिए स्थगित किया जाता और जब 15 वार्ड पंचायतों की वोटर लिस्ट फिर से वेरीफाई हो जाती उसके बाद दावा आपत्तिया मंगाई जाती, ताकि कोई भी इस चुनाव प्रतिक्रिया पर आपत्ति न कर सके और वह निष्पक्ष चुनाव नहीं हुआ है ऐसा ना बोल सके आपने ऐसा कुछ किया चुनाव अधिकारी ने कहा हमने ऐसा कुछ नहीं किया तो इससे साफ पता चलता है कि चुनाव अधिकारी ने निष्पक्ष फैसला नहीं किया है बल्कि एक पक्ष में फैसला किया है, जिसकी वजह से चुनाव अधिकारी भी संदेह के दायरे में आ जाते हैं निश्चित हो गया है। फ़िलहाल 16 जुलाई को चुनाव होगा और जनता की अदालत तय करेगी सच और झूठ का फैसला।

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