कोटा । शासकीय निरंजन केशरवानी कालेज कोटा की यूथ रेडक्रॉस सोसाइटी एवं राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के संयुक्त तत्वावधान में टीकाकरण के प्रति जागरूकता लाने एवं विद्यार्थियों के ब्लड ग्रुप के परीक्षण हेतु कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ अमित दुबे, रूरल मेडिकल असिस्टेंट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र करगीकला ने टीकाकरण के महत्व को बताते हुए नवजात शिशुओं, गर्भवती महिलाओं एवं विभिन्न आयु वर्ग के लोगों के लिए टीकाकरण के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की तथा विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से टीकाकरण के संबंध में ग्रामीण क्षेत्रों में जो भ्रांतियां व्याप्त हैं, उन्हें दूर करने का प्रयास किया. उन्होंने बताया कि 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत पोलियो मुक्त राष्ट्र बन चुका है. 2015 में मातृत्व एवं नवजात टिटनेस उन्मूलन का प्रमाण पत्र भी भारत को प्राप्त हो चुका है. चेचक एवं कोविड-19 जैसी घातक बीमारियों से हमारा देश लगभग मुक्त हो चुका है, जिसका कारण टीकाकरण के प्रति लोगों की जागरूकता है. यदि हम शासन द्वारा प्राप्त टीकाकरण की विभिन्न योजनाओं को अंगीकार कर ले तो निश्चय ही घातक बीमारियों का उन्मूलन संभव हो जाएगा।
विशिष्ट अतिथि प्रो. के मिंज ने टीकाकरण के महत्व के संबंध में अपने अनुभव और शासन की विभिन्न योजनाओं की जानकारी प्रदान की. कार्यक्रम के अध्यक्ष महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. बी. एल. काशी ने विद्यार्थियों से कार्यक्रम के दौरान प्रदान की गई स्वास्थ्यगत जानकारी को अपने परिवार व समाज में प्रसारित कर सभी को टीकाकरण के प्रति जागरूक करने की अपील की. कार्यक्रम की संयोजक रेडक्रास प्रभारी डॉ. संजू पांडे ने कहा कि संपूर्ण टीकाकरण का भारत में राष्ट्रीय औसत 62% है. यदि हम टीकाकरण के महत्व को समझेंगे तो यह प्रतिशत बढ़ेगा और हमारा राष्ट्र रोगमुक्त हो सकेगा। हम सभी को सरकार द्वारा प्रदत्त टीकाकरण के सुरक्षा कवच को शीघ्र ही अपनाना होगा। कार्यक्रम अधिकारी प्रो. शितेष जैन ने मानव जीवन में रक्त का महत्व बताते हुए सभी विद्यार्थियों से अपने ब्लड ग्रुप का परीक्षण कराने की अपील की. कार्यक्रम का संचालन राजनीतिशास्त्र विभाग के डॉ. जे. के. द्विवेदी द्वारा एवं आभार प्रदर्शन वाणिज्य विभाग की डॉ. नीलम त्रिवेदी के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक, कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे. कार्यक्रम को सफल बनाने में राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयं सेवकों की सक्रिय सहभागिता रही।
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