1 टू का फोर- 4 टू का 1 आख़िर ऐसा क्या किया बिलासपुर तहसीलदार नारायण प्रसाद गबेल ने….?? जानें पूरा मामला विस्तार से👇👇

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बिलासपुर/जिले के नारायण प्रशाद गबेल तहसीलदार है या जादूगर,,क्या इनके पास है जमीन गायब करने की नायाब छड़ी? लिंगियाडीह के पास से अचानक नक्शे से गायब हो गई खसरा क्र 54/ 41 की जमीन,,आखिर कैसे हुआ ये कमाल?,,न्यायधानी में इन दिनों मानो सरकारी और निजी ज़मीनों के बंदरबांट की बाढ़ सी आ गई है। आए दिन ज़मीनों की अवैध प्लाटिंग और कब्जे की खबरें अखबारों और टीवी चैनलों की सुर्खियां बन रही है।इसी कड़ी में तहसीलदार नारायण प्रशाद गबेल के ऊपर गंभीर आरोप लगे है जिससे वे इन दिनों अपने कारनामों की वजह से खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं। जिले में भू माफियाओं की सक्रियता और तहसील कार्यालय में एक अधिकारी की मौजूदगी से लोगों की नींद उड़ गई है, जो पलक झपकते ही ऐसा जादू करते है कि आपकी अचल संपत्ति सारे रिकार्ड से मानो छू मंतर हो जाती है, ऐसा ही एक मामला सामने आया है, अरपापार से जहाँ पीड़ित अपनी एड़िया रगड़ रहे है.जानिए क्या है पूरा मामलाएक ताज़े मामले में एक बार फिर जिले के तहसीलदार के ऊपर गंभीर आरोप लगे है जिंसमे साहब के ऊपर खसरा नंबर 54/41की ज़मीन में गड़बड़ी करने का आरोप लगा है। इस पूरे मामले में शहर में रहने वाले वर्मा परिवार के 4 हिस्सेदारों ने तहसीलदार नारायण गबेल के कारनामो को उजागर किया है। उनका आरोप है कि तहसीलदार गबेल ने पहले तो फर्जी तरीके से लिंगियाडीह स्थित उनकी कीमती ज़मीन को दूसरे के नाम चढ़ा दिया, और जब पीड़ित परिवार ने तहसीलदार गबेल से आपत्ति दर्ज करानी चाही तो उन्होंने नोटिस लेने से भी इंकार कर दिया। जिसके बाद ज़मीन मालिको ने तहसीलदार और कलेक्टर को बाईपोस्ट नोटिस भेजा है।आपको बता दे लिंगियाडीह में वर्मा परिवार की खसरा क्रमांक54/41 जिसका क्षेत्र क्रमांक 1.3760 और खसरा क्रमांक 54/21 क्षेत्रफल 0.2970 ज़मीन है। पर अचानक खसरा न 54/41 की ज़मीन नक्शे से गयाब हो गई। ये चमत्कार तहसीलदार साहब ने कैसे किया ये तो वही जाने. पर इस मामले में ज़मीन मालिकों का गुस्सा फूट चुका है इस जमीन के 4 हिस्सेदार है सुरेश कुमार, दिनेश कुमार अनील कुमार, और सुनील कुमार जो अब तहसीलदार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी में है।वर्मा परिवार की माने तो तहसीलदार ने सीमांकन के दौरान गड़बड़ी की है जिसके बाद अब सामने की ज़मीन को नक्से में पीछे बताया जा रहा है जबकि इससे पहले हुए सीमांकन में 54/41 की ज़मीन नक्शे में साफ नजर आ रही है।इस मामले में तहसीलदार गबेल और पटवारियों की भूमिका संदिग्ध नज़र आ रही है अगर तहसीलदार के ऊपर लगाए गए आरोप सिद्ध हो जाते है. तो उनके ऊपर कार्यवाई की गाज गिरना तय है। जिला प्रशासन के उच्च अधिकारियों को चाहिए कि वे इस गंभीर मामले में संवेदनशीलता बरते और शिकायत सही पाए जाने पर विभाग के भ्रस्ट अधिकारियों के ऊपर उचित कार्यवाही करें. जिससे जिले के लोगों को न्याय मिल सके।

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