समावेशी समाज बनाने के लिए समर्पित, सिद्धांतों के प्रति अटूट, गुरु गोविंद साहिब के साहस और बलिदान को याद करते बिलासपुर के गुरुद्वारों में संगत निहाल..

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बिलासपुर- सिखों के दसवें धर्मगुरू गोबिंद सिंह ने अपने जीवन में कभी भी धन या सत्ता की प्राप्ति के लिए लड़ाइयां नहीं लड़ीं। उन्होंने हमेशा अन्याय, अधर्म, अत्याचार और दमन के खिलाफ लड़ाई लड़ी। गुरु गोविंद सिंह ने ही खालसा पंथ की स्थापना की थी।
सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह का 354वां प्रकाश पर्व आज धूमधाम से मनाया जा रहा है। सिख धर्म के अनुयायियों मेंं आज के दिन को लेकर खासा उत्साह रहता है। पीएम मोदी ने भी आज प्रकाश पर्व के मौके पर गुरु गोविंद को याद करते हुए उनके साहस और बलिदान को नमन किया है। उन्होंने कहा गुरु का जीवन एक न्यायपूर्ण और समावेशी समाज बनाने के लिए समर्पित था। जब वह अपने सिद्धांतों के प्रति अटूट थे। हम उनके साहस और बलिदान को याद करते हैं। इसी आश्था के साथ बिलासपुर के गुरुद्वारों में संगत निहाल दिखे…

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सिखों के दसवें गुरु साहिब श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज का प्रकाश पर्व 20 जनवरी को देश भर में मनाया गया ।इसको लेकर गुरुद्वारा दयालबंद श्री गुरु सिंह सभा में धार्मिक आयोजन सोमवार से शुरू हो गए हैं। गुरुद्वारों को लाइटों से सजाया गया है ।सोमवार से शाम 7:00 से 9:00 तक दीवान सजा कर कीर्तन से संगत निहाल हुई ।इस प्रकाश पर्व के लिए विशेष हजूरी रागी जत्था भाई सुरेंद्र सिंह ,नक्षत्र सिंह दरबार साहिब अमृतसर उपस्थित रहे। मंगलवार को सुबह 7:30 से 9:30 तक शाम को सुबह 7:00 से 9:00 बजे तक दीवान सजाया जाएगा। 20 जनवरी को सुबह 8:30 से 11:30 बजे तक और शाम 7:00 से 12:00 बजे तक दीवान सजा , कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए संगत के लिए लंगर में लाई पैकेट की व्यवस्था की गई ।प्रबंधक कमेटी के प्रयासों से बड़े अकीदत के साथ गुरु का पावन प्रकाश पर्व मनाया गया

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राजा मनीष मनसागर..

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