जेब पर राहत नहीं नगर संपत्तिकर इस साल भी आधा नहीं, अधिकांश निगमों की कमाई कम, खर्च ज्यादा का हवाला

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निकायों को शासन ने राजस्व बढ़ाने के निर्देश दिए, पर कई निगम प्रापर्टी टैक्स भी पूरा नहीं वसूल पाए

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छत्तीसगढ़ के अधिकांश नगर निगम की खराब आर्थिक हालत की वजह से संपत्ति कर इस साल भी आधा नहीं हो पाएगा। अब तक रायपुर निगम ही 50 फीसदी से ज्यादा टैक्स वसूल पाया, बाकी अधिकांश निगम इसमें काफी पीछे चल रहे हैं। एक-दो निगमों को छोड़कर बाकी की जितनी सालाना आमदनी है, खर्च उससे कहीं ज्यादा है। चार-पांच नगर निगम अपने कर्मचारियों की सैलरी तक नहीं निकाल पा रहे हैं। शासन ने पिछले साल भी दबाव बनाया था कि निगम अपनी आय बढ़ाएं, ताकि संपत्ति कर आधा किया जा सके। लेकिन आय बढ़ी नहीं इसलिए इस साल यानी 31 मार्च तक लोगों को पूरा संपत्तिकर ही अदा करना होगा। रायपुर, कोरबा, धमतरी जैसे नगर निगम ही ऐसे हैं जो जितना कमा रहे हैं उतना खर्च कर रहे हैं। अर्थात अपने खर्च के लिए सरकार के आगे हाथ नहीं फैला रहे हैं, लेकिन अगर संपत्ति कर को यहां भी आधा किया जाएगा तो आय में 40 फीसदी से ज्यादा कमी आ जाएगी और ये निगम भी अपना स्थापना खर्च नहीं निकालने की स्थिति में पहुंच जाएंगे।

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नगरीय निकायों के बढ़ते खर्च पर कटौती करने के लिए नगरीय प्रशासन विभाग कई बार फरमान जारी कर चुका है उन्हें यह भी कहा गया है कि अपने-अपने निकायों का स्थापना व्यय 65 फीसदी से कम रखें। लेकिन अधिकांश निगमों का स्थापना व्यय इससे कहीं ज्यादा है। नगरीय निकायों को स्वायत्तशासी संस्था का दर्जा दिया गया है। यानी उसे अपने सभी जरूरी खर्च का इंतजाम खुद ही करना है लेकिन अधिकांश को सरकार से पैसे मांगने पड़ते हैं।

नगर निगमों की कमाई और खर्च की कुंडली
निगम आय व्यय
रायपुर 130 130
बिलासपुर 50 70
कोरबा 120 120
दुर्ग 20 30
सरगुजा 11 17
धमतरी 12 12
राजनांदगांव 149 180
राशि करोड़ रुपये में

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तीन नगर निगम ही नो प्राफिट-नो लॉस पर

प्रदेश के बड़े नगर निगमों में रायपुर, कोरबा और धमतरी जैसे निगम ही हैं जो अपने खर्च पूरे वसूल कर लेते हैं। यानी यहां पर जितनी आय होती है लगभग उतना ही व्यय हो जाता है। अपने निजी खर्चों के लिए उसे सरकार के पास हाथ फैलाना नहीं पड़ता। लेकिन दूसरे निगमों की बात करें तो वहां जितनी आय होती है उससे कहीं ज्यादा खर्च होती है। सरगुजा में तो निगम कर्मचारियों के महीने की सैलरी तक नहीं निकल पाती।

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सभी निकायों को निर्देश-
अपना राजस्व बढ़ाएं
नगरीय प्रशासन विभाग ने सभी निकायों को अपना राजस्व बढ़ाने के लिए नई व्यवस्था बनाने के लिए कहा गया है। उन्हें कहा गया है कि उनके निकायों से जुड़ी ऐसी चीजों का वे विकास करें जिससे निकायों की आमदनी बढ़े। दरअसल लोगों के दैनिक जीवन से जुड़ी सभी व्यवस्थाएं बनाने की जिम्मेदारी इन निगमों पर होती है इसलिए सेवा देने के एवज में उनसे वसूली जाने वाली राशि का नियमित भुगतान हो इसके लिए भी सिस्टम बनाने के लिए कहा गया है क्योंकि अधिकांश स्थानों पर महीने से वसूली नहीं हो पाती।

पिछली सरकार ने 100 फीसदी बढ़ाया था टैक्स
“भाजपा शासनकाल में 100 फीसदी संपत्तिकर बढ़ाने का आदेश दिया था, उसे हमने सरकार में आते ही निरस्त किया। यदि हम टैक्स को आधा करते तो हमें केंद्र से मिलने वाले 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा का 100 करोड़ नहीं मिल पाता। इसलिए निकायों से संपत्ति कर बढ़ाने के भेजे गए प्रस्ताव को हमने निरस्त कर दिया। इसलिए टैक्स पहले की तुलना में आधा हो गया।”

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