बिलासपुर – शहर में नवरात्रि के बाद माता की प्रतिमाओं का विसर्जन का दौर शुरू हो गया है । करोना काल में संक्रमण के डर को देखते हुए जारी गाइडलाइन के तहत नवरात्र के 9 दिन बीत गए । और अब विसर्जन में भीड़भाड़ को नियंत्रित करने कोतवाली पुलिस की इस कार्यवाही को हिंदू आस्था पर प्रहार बताया जा रहा है । बताया तो यह भी जा रहा है कि मंगलवार शाम को ही क्षेत्र की कुछ समितियों ने पुलिस और प्रशासन की बात मानकर सादगी के साथ प्रतिमाओं का विसर्जन किया था , जिन्होंने जब देखा कि तीन समितियां गाजे-बाजे के साथ विसर्जन यात्रा निकाल रही है तो उन्होंने कोतवाली पुलिस के सामने इस पर आपत्ति जताई जिसके बाद ही पुलिस ने यह कार्यवाही की।
वैसे सच तो यह है की नियम का पालन शुरू से ही नहीं किया गया। ना तो किसी भी दुर्गा पंडाल में सीसीटीवी कैमरे लगे थे, ना ही रजिस्टर में आने जाने वालों की एंट्री हुई, ना ही किसी का थर्मल टेस्ट हुआ और ना ही एक समय में 50 लोगों से अधिक इकट्ठा होने के नियम का पालन हुआ। इसलिए यह उम्मीद भी बेकार ही थी कि विसर्जन में भी नियम का अक्षरशःपालन होगा।
समिति के सदस्यों का आरोप है कि जब दुर्गा पूजा के दौरान सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचे और उस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो सीमित संख्या में विसर्जन के लिए जा रहे लोगों पर यह प्रतिबंध क्यों। वहीं उन्होंने कहा कि जब चुनावी सभाओं से कोरोना नहीं फैल रहा तो डीजे या धुमाल बजाने से कोरोना किस तरह फैलेगा। अब कोतवाली पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही से अब जो दुर्गा प्रतिमाएं बिना विसर्जन के ही सड़क पर खड़ी हो गई है उनका विसर्जन कैसे और किस तरह से होगा यह बड़ा सवाल है, क्योंकि यह आस्था से जुड़ा हुआ मामला है और ऐसे मामले बड़े ही संवेदनशील होते हैं । क्योंकि इस कार्यवाही से आसपास का माहौल तेजी से बिगड़ रहा है जिसे तुरंत सामान्य करना पुलिस और प्रशासन का कर्तव्य है । हालात बिगड़ कर मुंगेर जैसा हो इससे पहले ही इस तरह के कदम उठाने की जरूरत है जिससे कि तीनो समितियों की प्रतिमाओं के साथ अन्य प्रतिमाओं का विसर्जन बिना किसी गतिरोध के संपन्न हो सके।
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