शासकीय निरंजन केशरवानी कोटा में नेत्रदान जागरूकता के लिये कार्यशाला आयोजित …….जीवित रहते हुए रक्तदान और मृत्यु के बाद नेत्रदान है मानवता की सच्ची सेवा : आडवाणी

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कोटा ।समाज में दृष्टिहीनता के प्रति लोगों को जागरूक करने और नेत्रदान के लिए प्रेरित करने के लिये अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर से संबद्ध शासकीय निरंजन केशरवानी महाविद्यालय कोटा की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई, यूथ रेडक्रॉस सोसाइटी और कदम फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वाधान में नेत्रदान जागरूकता अभियान आयोजित किया गया. इस दौरान कॉर्निया प्रत्यारोपण व नेत्रदान से संबंधित सभी बिंदुओं पर विस्तार से जानकारी प्रदान की गई.

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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कदम फाउण्डेशन के संस्थापक सदस्य सुनील आडवाणी ने बताया कि समाज के लिए जीने वाला व्यक्ति ही वास्तव में इंसान है. नेत्रदान में दानदाताओं से आंखों की स्वच्छ कॉर्निया को उनकी मृत्यु के बाद ग्रहण किये जाते हैं और इन्हें दृष्टिहीन व्यक्ति में प्रत्यारोपित कर नेत्र ज्योति लौटायी जा सकती है. सिम्स बिलासपुर के नेत्र विभाग के विशेषज्ञ धर्मेंद्र देवांगन ने बताया कि व्यक्ति की मृत्यु के एक से छह घंटे के भीतर कॉर्निया को निकाला जाना चाहिए. विशिष्ट अतिथि ज्ञानेश गुप्ता ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मनुष्य की आंखों में कॉर्निया की बीमारियाँ पनप रही हैं, जो अंधेपन का मुख्य कारण है. डॉ. चंद्रशेखर गुप्ता ने बताया कि जीते जी इंसान कई कर्म करता है लेकिन मरने से पूर्व यदि वह अपने नेत्र या शरीर का कोई अंग दान करता है तो इससे बड़ा कोई पुण्य कार्य नहीं है. कदम फाउंडेशन कोटा इकाई के सदस्य विश्वनाथ गुप्ता ने बताया हर रक्त समूह एवं हर उम्र का आदमी अपनी आंखें दान कर सकता है. यदि परिजन समय पर नेत्र बैंक को सूचित कर मृत व्यक्ति के नेत्रों का दान करें तो कई नेत्रहीनों को रोशनी मिलेगी. कार्यक्रम में दुर्गेश साहू, अजय आडवाणी एवं महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक ए. के. पाण्डेय ने विद्यार्थियों से नेत्रदान की जागरूकता प्रसारित करने की अपील की.

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महाविद्यालय के प्राचार्य एवं संरक्षक प्रो. बी. एल. काशी ने बताया कि भारतीय संस्कृति तथा शास्त्रों में नेत्रदान का बड़ा महत्व बताया गया है. नेत्रहीनों एवं समाज के लिए कदम संस्था जो कार्य कर रही है वह सराहनीय है. उन्होंने सभी से नेत्रदान के इस पुनीत कार्य से जुड़ने की अपील की. राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम अधिकारी शितेष जैन ने बताया कि प्रकृति ने मानव को दृष्टि के रूप में एक ऐसा अमूल्य उपहार दिया है, जिसकी कोई कीमत नहीं आंकी जा सकती है. हमारे जीवन के बाद किसी जरूरतमंद को नेत्रदान से हमारी वजह से रोशनी मिल सकती है. कार्यक्रम में सभी प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों द्वारा नेत्रदान का संकल्प पत्र भरा गया. इसके पश्चात नेत्रदान से संबंधित प्रश्नोतरी का आयोजन किया गया, जिसमें छात्र-छात्राओं द्वारा नेत्र विशेषज्ञ टीम से कई प्रश्न भी पूछे गये, जिनका जवाब विशेषज्ञ टीम द्वारा गया.कार्यक्रम का संचालन वाणिज्य विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. नीलम त्रिवेदी के द्वारा गया. इस अवसर पर कॉलेज के सभी प्राध्यापक, कर्मचारी, विद्यार्थी और राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक उपस्थित रहे।

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