बिलासपुर– महानगरो के तर्ज पर बिलासपुर में भी कैंसर पीड़ित मरीजों के बेहतर इलाज के लिए बिलासपुर के डॉक्टर प्रतिबद्ध हैं। इसी कड़ी में रविवार को शहर के एक निजी होटल में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था। जी आई हैल्थ फाउंडेशन और अपोलो हॉस्पिटल सहित आईएमए बिलासपुर के सयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस सिंपोजियम जी आई कैंसर कार्यक्रम में बड़ी संख्या में डॉक्टरो ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इसमें अपोलो हॉस्पिटल के डॉक्टर और जी आई हैल्थ फाउंडेशन के फाउंडर डॉ देवेंद्र सिंह की भूमिका काफी अहम थी। जिन्होंने पेट में होने वाले कैंसर के इलाज और अन्य अंगों में होने वाले कैंसर बिमारी के इलाज को लेकर चिंतन करते हुए जिले अपितु प्रदेश के डॉक्टरों को अत्याधुनिक तकनीक से वाकिफ करने का निर्णय लिया है। जिसमे अपोलो हॉस्पिटल प्रबंधन,जी आई हैल्थ फाउंडेशन और आईएमए बिलासपुर ने महत्ती भूमिका निभाई है। डॉक्टरों की इस कार्यशाला में प्रवक्ता के रूप में दिल्ली के डॉ श्रीवेंद्र सिंह, इंदौर से डॉ अजय जैन, रायपुर से डॉ भावना सिरोही पहुंचे थे। जिन्होंने कैंसर के हर पहलू पर अहम जानकारी अन्य विषय विशेषज्ञ डॉक्टरों से साझा की। साथ ही कैंसर के इलाज में अत्याधुनिक तकनीक जैसे रोबोटिक सर्जरी और कीमोथेरेपी पर चर्चा की गई। इस बीच डॉ देवेन्द्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया की पूरे विश्व में पेट के कैंसर के केस बढ़ रहे है। जिसको लेकर शोध किया जा रहा है। फिलहाल छत्तीसगढ़ में पेट के कैंसर की स्थिति अन्य महानगरों की अपेक्षा सामन्य बताई जा रही है। उन्होंने कहा की आज के बदलते परिवेश कैंसर को अधिकांश केस में कैंसर की बिमारी को जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता है। ऐसे में इसको लेकर लोगो मे जागरूकता लाने की जरूरत है। ताकि समय रहते लक्षणों की पहचान कर कैंसर पर काबू पाया जा सके।
छत्तीसगढ़ के कैंसर मरीजों की रजिस्ट्री होगी तैयार..
जी आई हैल्थ फाउंडेशन और अपोलो हॉस्पिटल सहित आईएमए बिलासपुर के सयुक्त तत्वाधान में आयोजित सिंपोजियम जी आई कैंसर कार्यक्रम में यह निर्णय हुआ की अब प्रदेश के कैंसर मरीजों की रजिस्ट्री तैयार होगी। जिसमे कैंसर के व्यवहार,बीमारी होने के कारण सहित अन्य पहलुओं की पुलिंदा तैयार किया जाएगा। इस मामले में डॉ देवेन्द्र सिंह ने बताया कि कैंसर रजिस्ट्री शुरू होने से मरीजों का इलाज आसान होगा। मरीजों की हर स्थिति की जानकारी मिल सकेगी। वे दवाओं के फायदे और नुकसान की जानकारी भी दे सकेंगे। इस डाटा के आधार पर शोधार्थी नई दवाएं और इलाज की नई तरकीब ढूढ़ सकेंगे। एम्स में कैंसर रजिस्ट्री शुरू हो गई है। जल्द ही उनके साथ मिलकर यह व्यवस्था शुरू करने का निर्णय लिया गया है।
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