बिलासपुर/पूर्व तहसीलदार और पटवारी कौशल यादव ये दोनो जनाब अपने कारनामो की वजह से एक समय बिलासपुर में खूब सुर्खियां बटोर चुके है।
कौशल यादव जो पेशे से पटवारी है। पर इनके तेवर किसी नेता और मंत्री से कम नही है। वही नारायण प्रसाद गबेल ने भी भ्रष्टाचार का खूब खेल खेला, ये जनाब जिले के पूर्व तहसीलदार रह चुके है। ये दोनों मिलकर राजस्व विभाग में अपनी मनमानी चला रहे थे बताया जा रहा है इनके खिलाफ कई महीनों से शिकायत मिल रही थी। जिसके बाद एसीबी ने बिलासपुर के पूर्व तहसीलदार और पटवारी कौशल यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में जुर्म दर्ज कर लिया है।
सूत्रों की माने तो तहसीलदार नारायण प्रसाद गबेल और तहसीलदार कौशल यादव सरकारी जमीन का बंदरबांट कर रहे थे, जिनके शह पर भु माफियाओं के हौसला भी बुलंद थे, इन्होंने न किसानों को छोड़ा और न ही आम जनता को , जय/वीरू की जोड़ी ने पद का दुरुपयोग करते हुए लाखों रुपए का वारा नायरा कर चुके है पर अब इनके पाप का घड़ा फुट चुका है।
आपने शोले और याराना पिक्चर तो देखी ही होगी जिसमें दोस्ती की मिसाल पेश की गई है बस यही फ़िल्म बिलासपुर जिले राजस्व विभाग में भी चल रही थी, जहां जय और वीरू का किरदार तहसीलदार नारायण प्रशाद गबेल और पटवारी कौशल यादव निभा रहे थे, पर यह जोड़ी सिर्फ भ्रष्टाचार करने का काम करती रही, आपको बता दें बीते 4 साल पहले कौशल यादव मुंगेली से बिलासपुर में कदम रखा था उस दौरान नारायण प्रसाद गबेल नायाब तहसीलदार थे, एक ही विभाग में नायाब तहसीलदार और पटवारी के पद पर पदस्थ होने से इनकी दोस्ती गहरी होती गई, और सालों बीत जाने के बाद भी इन की गहरी दोस्ती आज भी सही सलामत है। जनाब पिछले कई सालों से बिलासपुर में बैठकर मलाई खा रहे हैं इतना ही नहीं अपनी पहुंच पकड़ के आगे सब को झुका देने वाले तहसीलदार गबेल ने तो अपना प्रमोशन करा लिया और नायाब तहसीलदार से बिलासपुर के तहसीलदार बन गए,साहब को बिलासपुर से कुछ ज्यादा ही प्यार हो गया था, इसलिए बिलासपुर को छोड़ना नहीं चाहते थे, इन अधिकारियों का रंग सत्ता बदलते ही गिरगिट की तरह हो जाता है।
वहीं सूत्रों की माने तो राजस्व विभाग के ये दोनों अधिकारी सरकारी जमीन का हेरफेर करने और भू माफियाओं को संरक्षण प्रदान करने में अपनी अहम भूमिका निभाते आए हैं। और लाखों की संपत्ति बना चुके है।
तहसीलदार नारायण प्रसाद और कौशल यादव के कारनामे की लंबी फेहरिस्त है। सूत्र बताते है कि जिले के पूर्व तहसीलदार गबेल और पटवारी की जोड़ी जय और वीरू से कम नही थी, इसी बीच बिलासपुर के तहसीलदार को प्रमोट कर डिप्टी कलेक्टर बना कर जिले से विदा कर दिया गया, जब की जिले में ही पदस्त पटवारी कौशल यादव भी कुछ कम नही है। पर देर से ही सही पर जय और वीरू पर एसीबी ने अपना शिकंजा कस लिया है। और इनके पाप का घड़ा भी फुट चुका है।
पूर्व तहसीलदार के ऊपर दर्ज हुई एफआईआर
महज 8 साल की नौकरी में करीब 2 करोड़ रुपए की चल – अचल संपत्ति जुटाने के आरोप मेंबिलासपुर के पूर्व तहसीलदार और वर्तमान में बस्तर में कलेक्टर डिप्टी नारायण प्रसाद गबेल के खिलाफ एसीबी पीसी एक्ट (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) के तहत एफआईआर दर्ज की है, गबेल के खिलाफ 5 महीने तक चलीजांच के बाद मामला दर्ज किया गया है।
बता दें करीब 8 साल पहले सरकारी नौकरी में आने के बाद 7 साल तक बिलासपुर तहसील कार्यालय में नायब तहसीलदार से लेकर डिप्टी कलेक्टर के पद पर रहते हुए खासे चर्चित रहे नारायण प्रसाद गबेल की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। बिलासपुर में नायब ‘ व तहसीलदार रहते हुए अपनी कार्यशैली को लेकर हमेशा विवादों में रहने वाले गबेल के खिलाफ आम लोगों के काम में मनमानी और आय से अधिक संपत्ति इकट्ठा करने की शिकायत एंटी करप्शन ब्यूरो व आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को मिली थी एसीबी ने बिलासपुर कार्यालय को यह मामला भेजते हुए प्रारंभिक जांच कर प्रतिवेदन भेजने के लिए कहा था,बिलासपुर एसीबी दफ्तर के अधिकारियों ने करीब पांच माह तक गबेल की चल – अचल संपत्ति की बारीकी से जांच की जिसके बाद यह कार्यवाही की गई है।
लखपति पटवारी के भ्रष्टाचार की लंबी फेहरिस्त
बिलासपुर व मुंगेली जिले में पदस्थ रहे बहुचर्चित विवादित पटवारी कौशल यादव के ऊपर एसीबी ने आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में एफआईआर दर्ज किया हैं, आपको बता दें कि पूर्व में ये मुंगेली जिले में पदस्थ रहे हैं जहाँ इनके खिलाफ कई शिकायते मुंगेली जिले में दर्ज हैं वही बिलासपुर जिले में भी पद पर रहने के दौरान उन्होंने गरीब किसानों व आम जनता को परेशान किया है, जिससे त्रस्त होकर कई लोगों ने इस भ्रष्ट पटवारी की शिकायत कलेक्टर से लेकर कमिश्नर व मुख्यमंत्री से की थी, इन्हें मात्र निलंबित व पुनः नई जगह पदस्थापना दे दी जाती थी व वर्तमान में ये बिलासपुर जिले के मंगला क्षेत्र में पदस्थ हैं।
आपको बता दे कि कई बार इनकी शिकायते एसीबी में कई जा चुकी हैं लेकिन कई सालों से जाँच के दौरान अंततः इनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में acb ने जुर्म दर्ज कर लिया है।
मुंगेली सिटी कोतवाली में पूर्व में हो चुका है मामला दर्ज –
मुंगेली में पद का दुरुपयोग मामले में पूर्व में भी 13 दिसम्बर 2011 को पद का दुरुपयोग मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13,1डी व 13,2 के तहत जुर्म दर्ज हो चुका है व 25 अगस्त 2013 को धारा 120, 420, 468, 467, 471 के तहत कोतवाली थाने में जुर्म दर्ज करवाया गया है। एफआईआर के बाद सालों से पुलिस ने मामले को जांच के नाम पर अटका कर रखा है।
मुंगेली व बिलासपुर में करोड़ो की संपत्ति की जानकारी मिली
स्वयं के नाम पर ,साले के नाम पर व पत्नी सहित अन्य के नाम पर संपत्ति- अर्जित
साले संजीव यादव के नाम पर सकरी में 32 लाख का प्लाट काली माईं वार्ड मुंगेली में तीन मंजिला ऑफिस व करही में करोड़ो का प्लाट व तीन मंजिला कॉप्लेक्स व अमितेश यादव के नाम पर व अन्य रिश्तेदारों के नाम पर 50 लाख का भूखंड जांच में पता चला कि कौशल यादव ने रिश्तेदार सूरज सिंह यादव अपनी परिचित के ओमप्रकाश यादव की पत्नी दुर्गा यादव के नाम पर सरकंडा में पाम इन्कलेव में 3 बेडरूम का फ्लैट खरीदा है सूरज सिंह यादव के नाम पर 2 लाख की नगद बुलेट सूरज यादव इनकम टैक्स भी जमा नहीं करता है जबकि चार पहिया में दो कार कई बाइक व कई बैंकों में खाता व एफडी की जानकारी मिली है रामा लाइफ सिटी सकती में मकान नंबर T -13 फेस 3 में 3 बेडरूम का बँगला कीमत 1 करोड़ 20 लाख।
मुंगेली कार्यकाल के समय फर्जी डाइवर्सन में थी भूमिका,
अनेको हो चुकी शिकायत। बता दे जब पटवारी कौशल यादव मुंगेली जिले में पदस्थ रहे तब उनके मिलीभगत से फर्जी डाइवर्सन को भी अंजाम दिया गया जिसके कारण आज अनेकों लोग अपने प्लाट के फर्जी डाइवर्सन के चलते परेशान है कुछ शासकीय सेवारत लोग जिनमे महिला कर्मचारी भी शामिल है उनको फर्जी डाइवर्सन के कारण होम लोन नही मिल पा रहा है जिसके कारण अब फर्जी डाइवर्सन और उसमे मिलीभगत रहे सभी लोगो पर एफआईआर की कार्यवाही कराई जा रही है।
मामा लोकनाथ के नाम मुंगेली में अमलतास के नाम बड़ी बिल्डिंग और अनेकों है बेशकीमती कार
मालूम हो पटवारी कौशल यादव का मामा मुंगेली जिले के पलानसरी का रहने वाला है जिसके नाम पर भी पटवारी कौशल यादव ने अमलतास के नाम बहुमंजिला बिल्डिंग बना किराये में दे रखा है। इसके अलावा पटवारी कौशल यादव जितनी भी बेशकीमती,लक्जरी कार उपयोग में रखा है सभी कार मामा लोकनाथ यादव के नाम से खरीदी गई है।
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