छत्तीशगढ़- प्रदेश में जितनी गति से कोरोना और उसका भयावह रूप बढ़ते जा रहा है उतनी ही गति से डरावने अफवाह और फेक न्यूज़ सुनाई और दिखाई पड़ रही है ।ऑक्सीजन दवाई बेड डॉक्टर हॉस्पिटल की कमी तो मौजूदा दौर में महसूस की जा रही है लेकिन बीते कुछ दिनों से अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों को जिन्हें फ्रंटलाइन वारियर माना गया है उनको लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां फैल रही है। यह भी सही है कि कुछ कुछ अस्पताल और डॉक्टर आपदा को अवसर बना रहे हो लेकिन कोरोना के इस जंग में हम सबको सब के प्रति सकारात्मक सोच रखने की जरूरत है।
लगभग सभी के घरों में इतना दूध तो होता है कि 5-6 मेहमान आ जाएं तो चाय बन जाए, लेकिन यदि अचानक से 50-60 मेहमान आ जाए तो इतना दूध तो कोई नहीं रखता
तब क्या आप यह बोलेगे कि घर-धणी गरीब है, दूध की व्यवस्था भी नही रखता, इसका प्रबंधन फेल है
यही हाल अस्पताल, ऑक्सीजन और दवाओं का है
सब पर्याप्त मात्रा में थी, लेकिन अचानक अपेक्षा से कई गुना ज्यादा लोग गंभीर हो गए.
बड़ी बात यह है कि चिकित्साकर्मियों, सरकार, ब्यूरोक्रेट्स, जन-प्रतिनिधियों ने 3-4 दिनों में स्थितियों को काफी हद तक नियंत्रित कर लिया है
जिन्हें लगता है कोई कुछ नहीं कर रहा, वो सिर्फ 24 घण्टे उनके साथ रहकर देखें, जो सेवा में सतत् लगे हैं स्मरण रहे, यह परिस्थिति बिल्कुल अलग है, वायरस नियमित म्यूटेंट हो रहा है
कब क्या होगा, इसका अंदाजा विश्वभर के वैज्ञानिक भी नहीं लगा पा रहे हैं.नागरिकों की जान बचाने के लिए केंद्र हो या राज्य सरकार परिस्थितियों के अनुरूप सबसे बेहतर निर्णय ले रही है.
-व्यवस्था पर उंगली उठाने से बेहतर है, उसे ठीक करने में जो हमारी अपेक्षित भूमिका है, उनका निर्वहन करें
सकारात्मक रहें
सुरक्षित रहें
स्वस्थ रहें..
राजा मनसागर
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